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 1 शरीर की बदी से मेरे दिल में ख़याल आता है,  
कि ख़ुदा का ख़ौफ़ उसके सामने नहीं।   
 2 क्यूँकि वह अपने आपको अपनी नज़र में इस ख़याल से तसल्ली देता है,  
कि उसकी बदी न तो फ़ाश होगी, न मकरूह समझी जाएगी।   
 3 उसके मुँह में बदी और फ़रेब की बातें हैं;  
वह 'अक़्ल और नेकी से दस्तबरदार हो गया है।   
 4 वह अपने बिस्तर पर बदी के मन्सूबे बाँधता है;  
वह ऐसी राह इख़्तियार करता है जो अच्छी नहीं;  
वह बुराई से नफ़रत नहीं करता।   
 5 ऐ ख़ुदावन्द, आसमान में तेरी शफ़क़त है,  
तेरी वफ़ादारी फ़लाक तक बुलन्द है।   
 6 तेरी सदाक़त ख़ुदा के पहाड़ों की तरह है,  
तेरे अहकाम बहुत गहरे हैं; ऐ ख़ुदावन्द,  
तू इंसान और हैवान दोनों को महफ़ूज़ रखता है।   
 7 ऐ ख़ुदा, तेरी शफ़क़त क्या ही बेशक़ीमत है!  
बनी आदम तेरे बाज़ुओं के साये में पनाह लेते हैं।   
 8 वह तेरे घर की ने'मतों से ख़ूब आसूदा होंगे,  
तू उनको अपनी ख़ुशनूदी के दरिया में से पिलाएगा।   
 9 क्यूँकि ज़िन्दगी का चश्मा तेरे पास है;  
तेरे नूर की बदौलत हम रोशनी देखेंगे।   
 10 तेरे पहचानने वालों पर तेरी शफ़क़त हमेशा की हो,  
और रास्त दिलों पर तेरी सदाकत!   
 11 मग़रूर आदमी मुझ पर लात न उठाने पाए,  
और शरीर का हाथ मुझे हाँक न दे।   
 12 बदकिरदार वहाँ गिरे पड़े हैं;  
वह गिरा दिए गए हैं और फिर उठ न सकेंगे।