37
 1 तू बदकिरदारों की वजह से बेज़ार न हो,  
और बदी करने वालों पर रश्क न कर!   
 2 क्यूँकि वह घास की तरह जल्द काट डाले जाएँगे,  
और हरियाली की तरह मुरझा जाएँगे।   
 3 ख़ुदावन्द पर भरोसा कर, और नेकी कर;  
मुल्क में आबाद रह, और उसकी वफ़ादारी से परवरिश पा।   
 4 ख़ुदावन्द में मसरूर रह,  
और वह तेरे दिल की मुरादें पूरी करेगा।   
 5 अपनी राह ख़ुदावन्द पर छोड़ दे:  
और उस पर भरोसा कर,  
वही सब कुछ करेगा।   
 6 वह तेरी रास्तबाज़ी को नूर की तरह,  
और तेरे हक़ को दोपहर की तरह रोशन करेगा।   
 7 ख़ुदावन्द में मुतम'इन रह, और सब्र से उसकी आस रख;  
उस आदमी की वजह से जो अपनी राह में कामयाब होता  
और बुरे मन्सूबों को अंजाम देता है, बेज़ार न हो।   
 8 क़हर से बाज़ आ और ग़ज़ब को छोड़ दे!  
बेज़ार न हो, इससे बुराई ही निकलती है।   
 9 क्यूँकि बदकार काट डाले जाएँगे;  
लेकिन जिनको ख़ुदावन्द की आस है,  
मुल्क के वारिस होंगे।   
 10 क्यूँकि थोड़ी देर में शरीर नाबूद हो जाएगा;  
तू उसकी जगह को ग़ौर से देखेगा पर वह न होगा।   
 11 लेकिन हलीम मुल्क के वारिस होंगे,  
और सलामती की फ़िरावानी से ख़ुश रहेंगे।   
 12 शरीर रास्तबाज़ के ख़िलाफ़ बन्दिशें बाँधता है,  
और उस पर दाँत पीसता है;   
 13 ख़ुदावन्द उस पर हंसेगा,  
क्यूँकि वह देखता है कि उसका दिनआता है।   
 14 शरीरों ने तलवार निकाली और कमान खींची है,  
ताकि ग़रीब और मुहताज को गिरा दें,  
और रास्तरों को क़त्ल करें।   
 15 उनकी तलवार उन ही के दिल को छेदेगी,  
और उनकी कमानें तोड़ी जाएँगी।   
 16 सादिक़ का थोड़ा सा माल,  
बहुत से शरीरों की दौलत से बेहतर है।   
 17 क्यूँकि शरीरों के बाज़ू तोड़े जाएँगे,  
लेकिन ख़ुदावन्द सादिकों को संभालता है।   
 18 कामिल लोगों के दिनों को ख़ुदावन्द जानता है,  
उनकी मीरास हमेशा के लिए होगी।   
 19 वह आफ़त के वक़्त शर्मिन्दा न होंगे,  
और काल के दिनों में आसूदा रहेंगे।   
 20 लेकिन शरीर हलाक होंगे,  
ख़ुदावन्द के दुश्मन चरागाहों की सरसब्ज़ी की तरह होंगे;  
वह फ़ना हो जाएँगे,  
वह धुएँ की तरह जाते रहेंगे।   
 21 शरीर क़र्ज़ लेता है और अदा नहीं करता,  
लेकिन सादिक़ रहम करता है और देता है।   
 22 क्यूँकि जिनको वह बरकत देता है,  
वह ज़मीन के वारिस होंगे;  
और जिन पर वह ला'नत करता है,  
वह काट डाले जाएँगे।   
 23 इंसान की चाल चलन ख़ुदावन्द की तरफ़ से क़ाईम हैं,  
और वह उसकी राह से ख़ुश है;   
 24 अगर वह गिर भी जाए तो पड़ा न रहेगा,  
क्यूँकि ख़ुदावन्द उसे अपने हाथ से संभालता है।   
 25 मैं जवान था और अब बूढ़ा हूँ तोभी मैंने सादिक़ को बेकस,  
और उसकी औलाद को टुकड़े माँगते नहीं देखा।   
 26 वह दिन भर रहम करता है और क़र्ज़ देता है,  
और उसकी औलाद को बरकत मिलती है।   
 27 बदी को छोड़ दे और नेकी कर;  
और हमेशा तक आबाद रह।   
 28 क्यूँकि ख़ुदावन्द इन्साफ़ को पसंद करता है:  
और अपने पाक लोगों को नहीं छोड़ता।  
वह हमेशा के लिए महफ़ूज़ हैं,  
लेकिन शरीरों की नसल काट डाली जाएगी।   
 29 सादिक़ ज़मीन के वारिस होंगे,  
और उसमें हमेशा बसे रहेंगे।   
 30 सादिक़ के मुँह से दानाई निकलती है,  
और उसकी ज़बान से इन्साफ़ की बातें।   
 31 उसके ख़ुदा की शरी'अत उसके दिल में है,  
वह अपनी चाल चलन में फिसलेगा नहीं।   
 32 शरीर सादिक़ की ताक में रहता है;  
और उसे क़त्ल करना चाहता है।   
 33 ख़ुदावन्द उसे उसके हाथ में नहीं छोड़ेगा,  
और जब उसकी 'अदालत हो तो उसे मुजरिम न ठहराएगा।   
 34 ख़ुदावन्द की उम्मीद रख,  
और उसी की राह पर चलता रह,  
और वह तुझे सरफ़राज़ करके ज़मीन का वारिस बनाएगा;  
जब शरीर काट डाले जाएँगे, तो तू देखेगा।   
 35 मैंने शरीर को बड़े इक्तिदार में और ऐसा फैलता देखा,  
जैसे कोई हरा दरख़्त अपनी असली ज़मीन में फैलता है।   
 36 लेकिन जब कोई उधर से गुज़राऔर देखा तो वह था ही नहीं;  
बल्कि मैंने उसे ढूंढा लेकिन वह न मिला।   
 37 कामिल आदमी पर निगाह कर और रास्तबाज़ को देख,  
क्यूँकि सुलह दोस्त आदमी के लिए अज्र है।   
 38 लेकिन ख़ताकार इकट्ठे मर मिटेंगे;  
शरीरों का अंजाम हलाकत है।   
 39 लेकिन सादिकों की नजात ख़ुदावन्द की तरफ़ से है;  
मुसीबत के वक़्त वह उनका मज़बूत क़िला है।   
 40 और ख़ुदावन्द उनकी मदद करताऔर उनको बचाता है;  
वह उनको शरीरों से छुड़ाता और बचा लेता है,  
इसलिए कि उन्होंने उसमें पनाह ली है।