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 1 ख़ुदा के सामने जो हमारी ताक़त है, बुलन्द आवाज़ से गाओ;  
या'क़ूब के ख़ुदा के सामने ख़ुशी का नारा मारो!   
 2 नग़मा छेड़ो, और दफ़ लाओ और दिलनवाज़ सितार और बरबत।   
 3 नए चाँद और पूरे चाँद के वक़्त,  
हमारी 'ईद के दिन नरसिंगा फूँको।   
 4 क्यूँकि यह इस्राईल के लिए क़ानून,  
और या'क़ूब के ख़ुदा का हुक्म है।   
 5 इसको उसने यूसुफ़ में शहादत ठहराया,  
जब वह मुल्क — ए — मिस्र के ख़िलाफ़ निकला। मैंने उसका कलाम सुना,  
जिसको मैं जानता न था   
 6 'मैंने उसके कंधे पर से बोझ उतार दिया;  
उसके हाथ टोकरी ढोने से छूट गए।   
 7 तूने मुसीबत में पुकारा और मैंने तुझे छुड़ाया;  
मैंने राद के पर्दे में से तुझे जवाब दिया;  
मैंने तुझे मरीबा के चश्मे पर आज़माया। सिलाह   
 8 ऐ मेरे लोगो, सुनो, मैं तुम को होशियार करता हूँ!  
ऐ इस्राईल, काश के तू मेरी सुनता!   
 9 तेरे बीच कोई गै़र ख़ुदावन्द का मा'बूद न हो;  
और तू किसी गै़रख़ुदावन्द के मा'बूद को सिज्दा न करना   
 10 ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा मैं हूँ,  
जो तुझे मुल्क — ए — मिस्र से निकाल लाया।  
तू अपना मुँह खू़ब खोल और मैं उसे भर दूँगा।   
 11 “लेकिन मेरे लोगों ने मेरी बात न सुनी,  
और इस्राईल मुझ से रज़ामंद न हुआ।   
 12 तब मैंने उनको उनके दिल की हट पर छोड़ दिया,  
ताकि वह अपने ही मश्वरों पर चलें।   
 13 काश कि मेरे लोग मेरी सुनते,  
और इस्राईल मेरी राहों पर चलता!   
 14 मैं जल्द उनके दुश्मनों को मग़लूब कर देता,  
और उनके मुखालिफ़ों पर अपना हाथ चलाता।   
 15 ख़ुदावन्द से 'अदावत रखने वाले उसके ताबे हो जाते,  
और इनका ज़माना हमेशा तक बना रहता।   
 16 वह इनको अच्छे से अच्छा गेहूँ खिलाता  
और मैं तुझे चट्टान में के शहद से शेर करता।”