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 1 ख़ुदा की जमा'अत में ख़ुदा मौजूद है।  
वह इलाहों के बीच 'अदालत करता है:   
 2 “तुम कब तक बेइन्साफ़ी से 'अदालत करोगे,  
और शरीरों की तरफ़दारी करोगे? सिलाह   
 3 ग़रीब और यतीम का इन्साफ़ करो,  
ग़मज़दा और मुफ़लिस के साथ इन्साफ़ से पेश आओ।   
 4 ग़रीब और मोहताज को बचाओ;  
शरीरों के हाथ से उनको छुड़ाओ।”   
 5 वह न तो कुछ जानते हैं न समझते हैं,  
वह अंधेरे में इधर उधर चलते हैं;  
ज़मीन की सब बुनियादें हिल गई हैं।   
 6 मैंने कहा था, “तुम इलाह हो,  
और तुम सब हक़ता'ला के फ़र्ज़न्द हो;   
 7 तोभी तुम आदमियों की तरह मरोगे,  
और 'उमरा में से किसी की तरह गिर जाओगे।”   
 8 ऐ ख़ुदा! उठ ज़मीन की 'अदालत कर  
क्यूँकि तू ही सब क़ौमों का मालिक होगा।