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 1 ख़ुदावन्द सलतनत करता है वह शौकत से मुलब्बस है  
ख़ुदावन्द कु़दरत से मुलब्बस है, वह उससे कमर बस्ता है  
इस लिए जहान क़ाईम है और उसे जुम्बिश नहीं।   
 2 तेरा तख़्त पहले से क़ाईम है, तू इब्तिदा से है।   
 3 सैलाबों ने, ऐ ख़ुदावन्द!  
सैलाबों ने शोर मचा रख्खा है, सैलाब मौजज़न हैं।   
 4 बहरों की आवाज़ से,  
समन्दर की ज़बरदस्त मौजों से भी,  
ख़ुदावन्द बलन्द — ओ — क़ादिर है।   
 5 तेरी शहादतें बिल्कुल सच्ची हैं;  
ऐ ख़ुदावन्द हमेशा से हमेशा तक के लिए  
पाकीज़गी तेरे घर को ज़ेबा है।