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 1 मैं शफ़क़त और 'अदल का हम्द गाऊँगा;  
ऐ ख़ुदावन्द, मैं तेरी मदह सराई करूँगा।   
 2 मैं 'अक़्लमंदी से कामिल राह पर चलूँगा,  
तू मेरे पास कब आएगा?  
घर में मेरा चाल चलन सच्चे दिल से होगा।   
 3 मैं किसी ख़बासत को मद्द — ए — नज़र नहीं रखूँगा;  
मुझे कज रफ़तारों के काम से नफ़रत है;  
उसको मुझ से कुछ मतलब न होगा।   
 4 कजदिली मुझ से दूर हो जाएगी;  
मैं किसी बुराई से आशना न हूँगा।   
 5 जो दर पर्दा अपने पड़ोसी की बुराई करे,  
मैं उसे हलाक कर डालूँगा;  
मैं बुलन्द नज़र और मग़रूर दिल की बर्दाश्त न करूँगा।   
 6 मुल्क के ईमानदारों पर मेरी निगाह होगी ताकि वह मेरे साथ रहें;  
जो कामिल राह पर चलता है वही मेरी ख़िदमत करेगा।   
 7 दग़ाबाज़ मेरे घर में रहने न पाएगा;  
दरोग़ गो को मेरे सामने क़याम न होगा।   
 8 मैं हर सुबह मुल्क के सब शरीरों को हलाक किया करूँगा,  
ताकि ख़ुदावन्द के शहर से बदकारों को काट डालूँ।