122
 1 मैं ख़ुश हुआ जब वह मुझ से कहने लगे  
“आओ ख़ुदावन्द के घर चलें।”   
 2 ऐ येरूशलेम! हमारे क़दम,  
तेरे फाटकों के अन्दर हैं।   
 3 ऐ येरूशलेम तू ऐसे शहर के तरह है जो गुनजान बना हो।   
 4 जहाँ क़बीले या'नी ख़ुदावन्द के क़बीले,  
इस्राईल की शहादत के लिए, ख़ुदावन्द के नाम का शुक्र करने को जातें हैं।   
 5 क्यूँकि वहाँ 'अदालत के तख़्त,  
या'नी दाऊद के ख़ान्दान के तख़्त क़ाईम हैं।   
 6 येरूशलेम की सलामती की दुआ करो,  
वह जो तुझ से मुहब्बत रखते हैं इकबालमंद होंगे।   
 7 तेरी फ़सील के अन्दर सलामती,  
और तेरे महलों में इकबालमंदी हो।   
 8 मैं अपने भाइयों और दोस्तों की ख़ातिर,  
अब कहूँगा तुझ में सलामती रहे!   
 9 ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के घर की ख़ातिर,  
मैं तेरी भलाई का तालिब रहूँगा।