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 1 मैं अपनी आँखें पहाड़ों की तरफ उठाऊगा;  
मेरी मदद कहाँ से आएगी?   
 2 मेरी मदद ख़ुदावन्द से है,  
जिसने आसमान और ज़मीन को बनाया।   
 3 वह तेरे पाँव को फिसलने न देगा;  
तेरा मुहाफ़िज़ ऊँघने का नहीं।   
 4 देख! इस्राईल का मुहाफ़िज़,  
न ऊँघेगा, न सोएगा।   
 5 ख़ुदावन्द तेरा मुहाफ़िज़ है;  
ख़ुदावन्द तेरे दहने हाथ पर तेरा सायबान है।   
 6 न आफ़ताब दिन को तुझे नुक़सान पहुँचाएगा,  
न माहताब रात को।   
 7 ख़ुदावन्द हर बला से तुझे महफूज़ रख्खेगा,  
वह तेरी जान को महफूज़ रख्खेगा।   
 8 ख़ुदावन्द तेरी आमद — ओ — रफ़्त में,  
अब से हमेशा तक तेरी हिफ़ाज़त करेगा।