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 1 जब ख़ुदावन्द सिय्यून के गुलामों को वापस लाया,  
तो हम ख़्वाब देखने वालों की तरह थे।   
 2 उस वक़्त हमारे मुँह में हँसी,  
और हमारी ज़बान पर रागनी थी;  
तब क़ौमों में यह चर्चा होने लगा,  
“ख़ुदावन्द ने इनके लिए बड़े बड़े काम किए हैं।”   
 3 ख़ुदावन्द ने हमारे लिए बड़े बड़े काम किए हैं,  
और हम ख़ुश हैं!   
 4 ऐ ख़ुदावन्द! दखिन की नदियों की तरह,  
हमारे गुलामों को वापस ला।   
 5 जो आँसुओं के साथ बोते हैं,  
वह खु़शी के साथ काटेंगे।   
 6 जो रोता हुआ बीज बोने जाता है,  
वह अपने पूले लिए हुए ख़ुश लौटेगा।