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 1 इस्राईल अब यूँ कहे,  
“उन्होंने मेरी जवानी से अब तक मुझे बार बार सताया,   
 2 हाँ, उन्होंने मेरी जवानी से अब तक मुझे बार बार सताया,  
तोभी वह मुझ पर ग़ालिब न आए।   
 3 हलवाहों ने मेरी पीठ पर हल चलाया,  
और लम्बी लम्बी रेघारियाँ बनाई।”   
 4 ख़ुदावन्द सादिक़ है;  
उसने शरीरों की रसियाँ काट डालीं।   
 5 सिय्यून से नफ़रत रखने वाले,  
सब शर्मिन्दा और पस्पा हों।   
 6 वह छत पर की घास की तरह हों,  
जो बढ़ने से पहले ही सूख जाती है;   
 7 जिससे फ़सल काटने वाला अपनी मुट्ठी को,  
और पूले बाँधने वाला अपने दामन को नहीं भरता,   
 8 न आने जाने वाले यह कहते हैं,  
“तुम पर ख़ुदावन्द की बरकत हो!  
हम ख़ुदावन्द के नाम से तुम को दुआ देते हैं!”