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 1 ऐ ख़ुदावन्द! तूने मुझे जाँच लिया और पहचान लिया।   
 2 तू मेरा उठना बैठना जानता है;  
तू मेरे ख़याल को दूर से समझ लेता है।   
 3 तू मेरे रास्ते की और मेरी ख़्वाबगाह की छान बीन करता है,  
और मेरे सब चाल चलन से वाक़िफ़ है।   
 4 देख! मेरी ज़बान पर कोई ऐसी बात नहीं,  
जिसे तू ऐ ख़ुदावन्द पूरे तौर पर न जानता हो।   
 5 तूने मुझे आगे पीछे से घेर रखा है,  
और तेरा हाथ मुझ पर है।   
 6 यह इरफ़ान मेरे लिए बहुत 'अजीब है;  
यह बुलन्द है, मैं इस तक पहुँच नहीं सकता।   
 7 मैं तेरी रूह से बचकर कहाँ जाऊँ?  
या तेरे सामने से किधर भागूँ?   
 8 अगर आसमान पर चढ़ जाऊँ, तो तू वहाँ है।  
अगर मैं पाताल में बिस्तर बिछाऊँ, तो देख तू वहाँ भी है!   
 9 अगर मैं सुबह के पर लगाकर,  
समन्दर की इन्तिहा में जा बसूँ,   
 10 तो वहाँ भी तेरा हाथ मेरी राहनुमाई करेगा,  
और तेरा दहना हाथ मुझे संभालेगा।   
 11 अगर मैं कहूँ कि यक़ीनन तारीकी मुझे छिपा लेगी,  
और मेरी चारों तरफ़ का उजाला रात बन जाएगा।   
 12 तो अँधेरा भी तुझ से छिपा नहीं सकता,  
बल्कि रात भी दिन की तरह रोशन है;  
अँधेरा और उजाला दोनों एक जैसे हैं।   
 13 क्यूँकि मेरे दिल को तू ही ने बनाया;  
मेरी माँ के पेट में तू ही ने मुझे सूरत बख़्शी।   
 14 मैं तेरा शुक्र करूँगा, क्यूँकि मैं 'अजीबओ — ग़रीब तौर से बना हूँ।  
तेरे काम हैरत अंगेज़ हैं मेरा दिल इसे खू़ब जानता है।   
 15 जब मैं पोशीदगी में बन रहा था,  
और ज़मीन के तह में 'अजीब तौर से मुरतब हो रहा था,  
तो मेरा क़ालिब तुझ से छिपा न था।   
 16 तेरी आँखों ने मेरे बेतरतीब माद्दे को देखा,  
और जो दिन मेरे लिए मुक़र्रर थे, वह सब तेरी किताब में लिखे थे;  
जब कि एक भी वुजूद में न आया था।   
 17 ऐ ख़ुदा! तेरे ख़याल मेरे लिए कैसे बेशबहा हैं।  
उनका मजमूआ कैसा बड़ा है!   
 18 अगर मैं उनको गिनूँ तो वह शुमार में रेत से भी ज़्यादा हैं।  
जाग उठते ही तुझे अपने साथ पाता हूँ।   
 19 ऐ ख़ुदा! काश के तू शरीर को क़त्ल करे।  
इसलिए ऐ ख़ूनख़्वारो! मेरे पास से दूर हो जाओ।   
 20 क्यूँकि वह शरारत से तेरे ख़िलाफ़ बातें करते हैं:  
और तेरे दुश्मन तेरा नाम बेफ़ायदा लेते हैं।   
 21 ऐ ख़ुदावन्द! क्या मैं तुझ से 'अदावत रखने वालों से 'अदावत नहीं रखता,  
और क्या मैं तेरे मुख़ालिफ़ों से बेज़ार नहीं हूँ?   
 22 मुझे उनसे पूरी 'अदावत है,  
मैं उनको अपने दुश्मन समझता हूँ।   
 23 ऐ ख़ुदा, तू मुझे जाँच और मेरे दिल को पहचान।  
मुझे आज़मा और मेरे ख़यालों को जान ले!   
 24 और देख कि मुझ में कोई बुरा चाल चलन तो नहीं,  
और मुझ को हमेशा की राह में ले चल!