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 1 ऐ मेरे ख़ुदा, मेरे बादशाह! मैं तेरी तम्जीद करूँगा।  
और हमेशा से हमेशा तक तेरे नाम को मुबारक कहूँगा।   
 2 मैं हर दिन तुझे मुबारक कहूँगा,  
और हमेशा से हमेशा तक तेरे नाम की सिताइश करूँगा।   
 3 ख़ुदावन्द बुजु़र्ग और बेहद सिताइश के लायक़ है;  
उसकी बुजु़र्गी बयान से बाहर है।   
 4 एक नसल दूसरी नसल से तेरे कामों की ता'रीफ़,  
और तेरी कु़दरत के कामों का बयान करेगी।   
 5 मैं तेरी 'अज़मत की जलाली शान पर,  
और तेरे 'अजायब पर ग़ौर करूँगा।   
 6 और लोग तेरी कु़दरत के हौलनाक कामों का ज़िक्र करेंगे,  
और मैं तेरी बुजु़र्गी बयान करूँगा।   
 7 वह तेरे बड़े एहसान की यादगार का बयान करेंगे,  
और तेरी सदाक़त का हम्द गाएँगे।   
 8 ख़ुदावन्द रहीम — ओ — करीम है;  
वह कहर करने में धीमा और शफ़क़त में ग़नी है।   
 9 ख़ुदावन्द सब पर मेहरबान है,  
और उसकी रहमत उसकी सारी मख़लूक पर है।   
 10 ऐ ख़ुदावन्द, तेरी सारी मख़लूक़ तेरा शुक्र करेगी,  
और तेरे पाक लोग तुझे मुबारक कहेंगे!   
 11 वह तेरी सल्तनत के जलाल का बयान,  
और तेरी कु़दरत का ज़िक्र करेंगे;   
 12 ताकि बनी आदम पर उसके कुदरत के कामों को,  
और उसकी सल्तनत के जलाल की शान को ज़ाहिर करें।   
 13 तेरी सल्तनत हमेशा की सल्तनत है,  
और तेरी हुकूमत नसल — दर — नसल।   
 14 ख़ुदावन्द गिरते हुए को संभालता,  
और झुके हुए को उठा खड़ा करता है।   
 15 सब की आँखें तुझ पर लगी हैं,  
तू उनको वक़्त पर उनकी ख़ुराक देता है।   
 16 तू अपनी मुट्ठी खोलता है,  
और हर जानदार की ख़्वाहिश पूरी करता है।   
 17 ख़ुदावन्द अपनी सब राहों में सादिक़,  
और अपने सब कामों में रहीम है।   
 18 ख़ुदावन्द उन सबके क़रीब है जो उससे दुआ करते हैं,  
या'नी उन सबके जो सच्चाई से दुआ करते हैं।   
 19 जो उससे डरते हैं वह उनकी मुराद पूरी करेगा,  
वह उनकी फ़रियाद सुनेगा और उनको बचा लेगा।   
 20 ख़ुदावन्द अपने सब मुहब्बत रखने वालों की हिफ़ाज़त करेगा;  
लेकिन सब शरीरों को हलाक कर डालेगा।   
 21 मेरे मुँह से ख़ुदावन्द की सिताइश होगी,  
और हर बशर उसके पाक नाम को हमेशा से हमेशा तक मुबारक कहे।