भजन-संहिता 32
दाऊद के एक मसकील*संभवतः संगीत के एक सबद
धइन अय ओ मनखे,
जेकर अपराध छेमा करे जाथे,
जेकर पाप तोपे जाथे।
धइन अय ओ मनखे,
जेकर पाप ला यहोवा ह ओकर बिरूध नइं गनय
अऊ जेकर आतमा म कोनो कपट के बात नइं ए।
 
जब मेंह कलेचुप रहंय,
त दिन भर कलहरत-कलहरत
मोर हाड़ामन बेकार होय लगिन।
काबरकि रात अऊ दिन
तोर हांथ ह मोर ऊपर भारी पड़िस;
अऊ जइसे घाम महिना के घाम म चीजमन सूखा जाथें
वइसे मोर बल ह कम हो गीस।
 
तब मेंह अपन पाप ला तोर आघू म मान लेंव
अऊ मोर अपराध ला नइं छुपांय।
मेंह कहेंव, “मेंह यहोवा के आघू म
अपन पाप ला मान लूहूं।”
अऊ तेंह मोर पाप के दोस ला
छेमा करय।
 
एकरसेति जम्मो बिसवासयोग्य मनखेमन तोर ले पराथना करंय
जब तेंह मिल सकत हस;
खचित संकट रूपी पानी के भयंकर लहरामन
ओमन करा नइं हबरहीं।
तेंह मोर छुपे के जगह अस;
तेंह मोला संकट ले बचाबे
अऊ छुटकारा के गीत म मोला घेर लेबे।
 
मेंह तोला निरदेस दूहूं अऊ ओ रसता के बात सिखाहूं, जेमा तोला जाना चाही;
मेंह तोर ऊपर अपन मया के नजर रखके तोला सलाह दूहूं।
तेंह घोड़ा अऊ खच्चर के सहीं झन बन,
जेमन करा कोनो समझ नइं रहय
पर ओमन ला काठी अऊ लगाम ले काबू म करे जाथे
नइं तो ओमन तुम्हर लकठा म नइं आवंय।
10 दुस्टमन के दुख-तकलीफ बहुंत हवय,
पर यहोवा के अब्बड़ मया ह
ओमन ला घेरे रहिथे, जऊन मन ओकर ऊपर भरोसा करथें।
 
11 हे धरमी मनखेमन, यहोवा म आनंद मनावव अऊ खुस रहव;
अऊ हे मन के जम्मो सीधवा मनखेमन, तुमन गीत गावव।

*^ संभवतः संगीत के एक सबद